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If I use google translate, then the translation of "Luck" and "Fate" clash. They both appear as "भाग्य." However, this contradicts the definition of both words. Fate is defined as development of events that are pre determined and outside human control, whereas luck is chances which can be altered by human interaction. So both are synonyms.
Also what is the correct definition of "भाग्य" and "किस्मत"?
I know Hindi well, yet I struggle to read his words, why? It's not that he uses very tough long words, they seem simple and short but still I have no idea what they mean (unlike archaic english). What is this?
कोमल भानु किरने,
चहचहाते परिंदे,
स्कूल का पहला दिन।
खुशगवार बचपन,
बेकसूर दिल,
दिल-परेज़ रिश्त-ए-दोस्ती।
मूई का मौसम,
दरियाओं का मिलाप,
प्रेम की पहली धुन।
गुज़रती हुई दोपहर,
गाफिल वो,
हया दार हम।
मुरझाते गुल,
सूखते तालाब,
तवक्कुलात-ए-माशरत।
स्कूल का फेयरवेल,
मेरा ज़िक्र, उनकी आँखें
टपकता ग़म।
बिखरे हरसिंगार दल,
लतीफ महक की चादर,
गुलाबी लम्हों के निशान।
रंगरेज़ शाम,
ग़रूब-ए-आफ़ताब,
अमिट यादें।
I thought है was for singular and हैं for plural
कहते हैं धरती पर एक ऐसा व्यक्ति है जो अमरता का प्रतीक है, महाभारत के युद्ध के बाद से वह हर युग को देखता आया है। उसके माथे पर एक शाप का निशान है, जो हमेशा जलता रहता है। यह व्यक्ति है अश्वत्थामा, गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र, जिसे कृष्ण ने अमरता का शाप दिया था — एक ऐसा जीवन जो शक्ति और शांति से परे, दर्द और तन्हाई से भरा था। देवी-देवताओं और महान योद्धाओं के युग में जन्मा यह व्यक्ति आज भी छाया की तरह इस धरती पर भटकता है, इतिहास की हर परत में कहीं छुपा हुआ।
भाग I: शाप और युगों का साक्षी
महाभारत के युद्ध के अठारहवें दिन, प्रतिशोध में अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र चलाया। इस पाप के बदले कृष्ण ने उसे श्रापित कर दिया — एक ऐसा जीवन जो उसे कभी चैन से जीने नहीं देगा। उसके माथे पर एक घाव है जो कभी नहीं भरता, और उसे धरती पर भटकते रहने के लिए छोड़ दिया गया, काल का अजर-अमर साक्षी बनकर।
सदियों तक, अश्वत्थामा ने सभ्यताओं को बनते और बिगड़ते देखा। उसने महान सम्राटों का उत्थान देखा और उनके साम्राज्य का पतन भी। उसने गुप्त युग के वैभव से लेकर मंगोल आक्रमणों का अंधकार देखा, परंतु कभी अपने आप को इस संसार से जुड़ा महसूस नहीं किया। लोग उसके बारे में कहानियाँ सुनाते थे, पर उसे पहचानने वाला कोई नहीं था।
भाग II: हिमालय में अज्ञात साधु
19वीं शताब्दी में वह हिमालय में निवास करने लगा, जहाँ उसे नीम करोली बाबा का सानिध्य मिला। बाबा ने उसे आने वाले युगों की जानकारी दी, विज्ञान और तकनीकी का दौर, जब मनुष्य अपने ही बनाए हुए यंत्रों से अपनी दुनिया को बदल देगा।
उसी समय, उसने गंगा के किनारे एक शांत युवक को ध्यान में देखा — वह था अल्बर्ट आइंस्टीन, जो ब्रह्मांड के रहस्यों में उलझा हुआ था। अश्वत्थामा ने उसे ऊर्जा के रहस्यों के बारे में कुछ संकेत दिए, और यही विचार आइंस्टीन के सिद्धांत का आधार बनेगा। उसने धीरे से कहा, “सत्य संख्या में नहीं, आत्मा में है।”
और फिर अश्वत्थामा आगे बढ़ गया, बस एक हल्का सा संकेत देकर, मानवता को एक नई दिशा देने के लिए।
भाग III: न्यूटन से मुठभेड़
1665 में, इंग्लैंड के वूलस्टोर्प मैनर के एक बगीचे में, उसने एक युवक को गहरे विचार में पाया। वह था आइजैक न्यूटन। अश्वत्थामा ने बिना अपना परिचय दिए न्यूटन से एक पहेली पूछी, “क्या है जो दिखता नहीं पर सितारों को पकड़ के रखता है? क्या है जो धरती को बांधे रखता है, पर मौन है?”
न्यूटन ने इस प्रश्न पर विचार किया और बाद में गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत सामने आया। अश्वत्थामा वहाँ से चला गया, एक मुस्कान के साथ, यह जानकर कि उसने फिर से मानवता की सोच में एक हल्का सा बदलाव ला दिया।
भाग IV: आविष्कारों का युग
सदियों बाद, स्टीव जॉब्स नाम का एक युवक भारत में नीम करोली आश्रम में आया। वहीं, उसने एक रहस्यमयी साधु से मुलाकात की, जिसने उसकी जिज्ञासा को और भड़काया। अश्वत्थामा ने उसे बताया कि असली नवाचार उपकरणों में नहीं, बल्कि मानव आत्मा की खोज में है।
इस मुलाकात के बाद, स्टीव जॉब्स वापस कैलिफोर्निया लौटा और दुनिया को बदलने वाले उपकरणों का निर्माण किया।
भाग V: मिथक के पीछे का आदमी
21वीं सदी तक अश्वत्थामा का सफर उसे सिलिकॉन वैली की ऊँची इमारतों तक ले आया। वहाँ उसने एलन मस्क से मुलाकात की। मस्क ने उससे पूछा, “क्या हम सच में तारों तक पहुँच पाएंगे, ओ पुराने आदमी?”
अश्वत्थामा ने कहा, “तुम्हारी राह महत्वाकांक्षा की है, पर याद रखो — ब्रह्मांड निष्पक्ष है, यह देता है और लेता है। जब तुम यह समझोगे, तभी तुम्हारा सच में तारों तक पहुँचना मुमकिन होगा।”
भाग VI: ब्रह्मांड के रहस्य
हाल के वर्षों में, एक पुरानी किंवदंती का आदमी, जिसने कई महान लोगों का मार्गदर्शन किया, फिर से चर्चाओं में है। कहते हैं कि उसके पास ब्रह्मांड के कुछ गहरे रहस्य हैं, जिनका ज्ञान किसी और के पास नहीं। यह भी माना जाता है कि महाभारत से बचा एक ब्रह्मास्त्र का टुकड़ा उसकी रक्षा में है, जिसे उसने हिमालय की गुफाओं में छुपा रखा है। वह इसे मानवता को उसकी लालच और अहंकार से बचाने के लिए संभाल कर रखता है।
भाग VII: अमर का अंतिम संदेश
वाराणसी के एक मंदिर में, एक युवा वैज्ञानिक ने उससे ब्रह्मांड के रहस्यों पर चर्चा की। अश्वत्थामा ने धीमे से कहा, “ब्रह्मांड को समझने के लिए पहले खुद को समझना होगा। हर अणु, हर कण, तुम्हारे अंदर भी वही है जो इस ब्रह्मांड में है। असली सत्य बाहर नहीं, भीतर है।”
गंगा की ओर देखते हुए उसने कहा, “ज्ञान बिना करुणा के खतरनाक है। मैंने इसी अहंकार के कारण यह शाप पाया है। सबसे बड़ा रहस्य यही है — इस संसार के प्रति प्रेम ही असली शक्ति है।”
कहते हैं कि अश्वत्थामा आज भी हिमालय में भटकता है, उन रहस्यों का पहरेदार जो मानवता के उत्थान और पतन दोनों का कारण हो सकते हैं। वह समय-समय पर उन लोगों के पास आता है जिनकी नियति में दुनिया बदलना लिखा है, मानो एक चेतावनी के साथ — ज्ञान के साथ करुणा का होना भी उतना ही जरूरी है।
अस्वीकरण: यह एक काल्पनिक कहानी है
I used to think it was Hindustani, but some say this was a term used by Britain for the language, what was it called before?
Hi. I'm trying to reconnect to Hindi, and I am so confused.
First, should I know the difference between श and ष in writing? Does it matter? Which one should I use? What are the rules?
And secondly, what is the difference between all the aadha r's?? What are the rules for it. PLEASE HELP!!!!!!!!
edit: pls respond in english my hindi reading SUCKS
No description required.
I recently started a podcast on poetry since couldn't find any good ones. In the first episode I talk about what is shayari and what is shayar even though we are using the terms of urdu poetry it applies to hindi poetry as well.
I will be posting recitations of many writings of writer like Dinkar, Harivansh Rai bachhan, Bhagwati Charan verma and much more stay tuned for more.
I will also be inviting people who are involved in hindi poetry so please stick around and support.
Any suggestion is welcome. Thanks a lot
Here's a list of all the channels I own and all the content in hindi, please share as much as you can and join fast
My friend's Yt Channel too https://youtube.com/@hindicartoons.exeeee?si=LZlzE3Q8agyxgjH2
Courage the Cowardly Dog show https://t.me/Couragethecowardlydoghindi
Phineas and Ferb https://t.me/+ngGJ-BRUAq40ODM1
Takeshi's castle in hindi https://t.me/takeshiscastleinhindi
Ben 10 (entire series including Omniverse) https://t.me/+Qve5CWkn_wJlMzVl
Ed, Edd N Eddy https://t.me/+__6X8PhY2CI5MGI1
Pink Panther https://t.me/+B07vIr1P0ZVkNWFl
Lucky man https://t.me/+aKjEPUwVqnU5MmVl
Richie rich https://t.me/+UE0cAcainoplNTVl
Perman https://t.me/+KCD-owbo9585NGNl
Haddi Mera buddy https://t.me/+H4mXoZZXCCwxNjE1
Hagemaru (uncensored) https://t.me/+-8GdcKYg2lpjYWJl
Doraemon Hindi movies (all) https://t.me/+FLvBN93CNkUyZDRl
Shinchan all episodes https://t.me/+3YDdmUbKQSJmYjhl
Shinchan all movies https://t.me/shinchanallhindimovies
Oggy and the cockroaches https://t.me/+Dj8T9rDLJJAxZGY1
Kochikame https://t.me/+uKT5TlrpiCA3ODZl
Kiteretsu https://t.me/+olyhfOQlegQwMjU1
Tom and Jerry Tales https://t.me/+OK-BbwtDXwY4ZTA1
Ninja Hattori https://t.me/+Y6i1FxhlKVA1Mzdl
Doraemon all episodes https://t.me/+WFojMBdCGAza5dJ9
Roll no. 21 https://t.me/+h6AbZK9HCYA1YmU9
Atashinchi in Hindi https://t.me/+CMVgdiEd4XsxYjY1
Thomas and Friends all Hindi Episodes+Movies
https://t.me/+Ntvs9NdZWnoyOGE1
Ryukendo full Hindi episodes (First 12 episodes are eng sub rest are hindi) https://t.me/+lzMP_nRcCAxiODU1
Chhota Bheem all movies https://t.me/+51P09V7zz7sxNTY1
Looney Tunes All Hindi Episodes
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Tom and Jerry Movies https://t.me/+sCQpk2bguEEzZWQ1
Robotan 1986 hindi episodes https://t.me/+7PHQRxkiWXMxOGQ1
Super Robot Monkey Team Hyper Force Go https://t.me/+WuKGeiAe1QoyNTY1
Bob The builder https://t.me/+4HVbs92LNcxlYjll
Tom and Jerry the classic https://t.me/+dp6H81HQTKVkNWI1
Will E coyote and road runner https://t.me/+l2yz4e2A5Bs3ZGJl
Popeye the sailor man https://t.me/+bNq3Q-jKwxxmNDA1
Kick Buttowski https://t.me/+2_yPzzi3S805MzVl
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Ultimate Spider-Man all Hindi episodes
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All Hindi episodes No ads, No shortened links, No BS
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Jo Guzari na Ja Saki Humse | Hum ne Wo Zindagi Guzari hai |
Hey guys, I remember watching this one new serial about a girl who is takes care of her family and a guy moves in next door who is younger than him but then he falls for her. I don’t think it aired for too long. I think it was in Colors. I just can’t seem to remember the name. Does anyone know?
Hi all!
I'm working on a thesis about case alignment in Hindi, and I need a native speaker for grammaticality judgments/info about differences in meaning between minimal pairs.
Anyone here who could give me a hand?
Delhi in Hindi is Dillī / दिल्ली
Delhi is Urdu is Dehlī, what is the correct way to write this in devanagari? दहली or दह्ली or देहली or देह्ली?
I recently heard this poem and I loved it because it very deep and it's simple but I don't know who wrote it can anybody find who is poet of the poem And the meaning of poem is : Bhediya bhed char rahe the is the evil in disguise kyuke bhediye bhed charte nahi maarkar khaa jate h Koyal boli mai maina is the way people exaggerate their abilities bcoz koyal has oke sound whereas a myna can mimic sounds as well
Kauva bola mai mor is a confusing one kyuke either it describes how bad things are shadowed by showing good on the outside by sm people or it is either ones ability to find themselves equally pretty compared to others and knowing self worth..as in kauva is also a beautiful bird Bandar daal par baitha sab tamasha dekh raha h kyuke use sach pata and hes not trying to fake anything bas apni life enjoy krra daal par baithe haste hue like sm people enjoy their life to the fullest
The image above is of r/Pakistan where they write एक اِک as "Aik" while a Hindi speaker would write it as "Ek".
Another change is how urdu speakers like to write the k sound at end of certain words using "q" rather than "k" which the indians use.
It will be interesting to see how further the both languages deviate from each other as the isolation between the countries increases/continues over time.
नमस्ते दोस्तों!
मैं हिन्दी छात्र हूँ और मैं लगभग एक साल से हिन्दी सीख रही हूँ । मैं जानना चाहती हूँ कि मेरी हिन्दी किस स्तर पर है । युरोपियन भाषाओं के लिए कुछ मानक परीक्षाएं हैं - A1 (beginner) से C2 (advanced). आगर आप फ़्रेंच, जर्मन, स्पेनिश आदि, तो वे परीक्षाएं दे सकते हैं । लोग अपने CV के लिए देते हैं लेकिन प्रगति की समझ भी के लिए सहायक है |
क्या कुछ समान परीक्षाएँ हिन्दी के लिए हैं? मैं जानती हूँ, यह थोड़ा अजीब है, लेकिन मुझे परीक्षाएं देना पसन्द है!
कुछ ग़लतियों के लिए माफ़ कीजिए, मैं अक्सर अंग्रेज़ी से अनुवाद करती हूँ क्योंकि मेरी हिन्दी अभी भी बहुत अच्छी नहीं है ।
धन्यवाद!
Mere is tough time me mere sath koi nhi he I always crave for a hand on my head jo mere dar ko shlae or yeh ehsas dilae ki m apni iss ldai me akele nhi hu. But support Krna to dur ki bat he, jb me apne bikhre hue tukdo ko samet kar bhut himmat krke jodne ki koshish krty hu, wo ek pathar se use Tod dety he, me roty hu phir uthty hu khush rhne ki koshish krty hu or ho nhi paty, phir tukdo ko jodty hu, khud ko sambhalne ki koshish krty hu, kai bar sambhal lety hu but bhut bar nhi sambhal baty, mere tough time m mujhe pta chala kon mera he or kon nhiz or realize hua ki yha koi b nhi he , me akele hu , yeh mere hi ldai he mujhe hi ldni he, mera support krne koi b nhi aega.
मुझे रचनात्मक लेखन का लंबे समय से शौक है, खासकर अंग्रेज़ी में। मुझे छोटी कहानियाँ लिखने का बहुत शौक है, विशेषकर वो जिनमें मनोवैज्ञानिक तत्वों के साथ डार्क थ्रिलर की झलक हो। लेखन के अलावा, मुझे भाषाओं में भी बहुत रुचि है। हाल ही में, मेरे मन में यह विचार आया - क्यों न अपनी मातृभाषा में लिखने की कोशिश करूँ? और, लीजिए, यहाँ हम आ पहुँचे हैं!
मुझे बेहद खुशी होगी अगर आप मेरी छोटी कहानी 'कलंक' को पढ़ें और अपने विचार साझा करें।
I have a long-standing passion for creative writing, particularly in English. I’m drawn to crafting short stories, with a special interest in dark thrillers that delve into psychological themes. Beyond writing, I have a deep appreciation for languages in general. Recently, it struck me—why not try writing in my mother tongue? And so, here we are!
It would mean the world to me if you check out my short story entitled 'kalank' and share what you thought about it.
https://medium.com/@thequippingquill/%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%95-db11c28c7343
'जय हो' जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को,
जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को।
किसी वृन्त पर खिले विपिन में, पर, नमस्य है फूल,
सुधी खोजते नहीं, गुणों का आदि, शक्ति का मूल।
ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है,
दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है।
क्षत्रिय वही, भरी हो जिसमें निर्भयता की आग,
सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग।
तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के,
पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के।
हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक,
वीर खींच कर ही रहते हैं इतिहासों में लीक।
जिसके पिता सूर्य थे, माता कुन्ती सती कुमारी,
उसका पलना हुआ धार पर बहती हुई पिटारी।
सूत-वंश में पला, चखा भी नहीं जननि का क्षीर,
निकला कर्ण सभी युवकों में तब भी अद्भुत वीर।
तन से समरशूर, मन से भावुक, स्वभाव से दानी,
जाति-गोत्र का नहीं, शील का, पौरुष का अभिमानी।
ज्ञान-ध्यान, शस्त्रास्त्र, शास्त्र का कर सम्यक् अभ्यास,
अपने गुण का किया कर्ण ने आप स्वयं सुविकास।
अलग नगर के कोलाहल से, अलग पुरी-पुरजन से,
कठिन साधना में उद्योगी लगा हुआ तन-मन से।
निज समाधि में निरत, सदा निज कर्मठता में चूर,
वन्यकुसुम-सा खिला कर्ण, जग की आँखों से दूर।
नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में,
अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में।
समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल,
गुदड़ी में रखती चुन-चुन कर बड़े कीमती लाल।
जलद-पटल में छिपा, किन्तु रवि कब तक रह सकता है?
युग की अवहेलना शूरमा कब तक सह सकता है?
पाकर समय एक दिन आखिर उठी जवानी जाग,
फूट पड़ी सबके समक्ष पौरुष की पहली आग।
रंग-भूमि में अर्जुन था जब समाँ अनोखा बाँधे,
बढ़ा भीड़-भीतर से सहसा कर्ण शरासन साधे।
कहता हुआ, 'तालियों से क्या रहा गर्व में फूल?
अर्जुन! तेरा सुयश अभी क्षण में होता है धूल।'
'तूने जो-जो किया, उसे मैं भी दिखला सकता हूँ,
चाहे तो कुछ नयी कलाएँ भी सिखला सकता हूँ।
आँख खोल कर देख, कर्ण के हाथों का व्यापार,
फूले सस्ता सुयश प्राप्त कर, उस नर को धिक्कार।'
इस प्रकार कह लगा दिखाने कर्ण कलाएँ रण की,
सभा स्तब्ध रह गयी, गयी रह आँख टँगी जन-जन की।
मन्त्र-मुग्ध-सा मौन चतुर्दिक् जन का पारावार,
गूँज रही थी मात्र कर्ण की धन्वा की टंकार।
फिरा कर्ण, त्यों 'साधु-साधु' कह उठे सकल नर-नारी,
राजवंश के नेताओं पर पड़ी विपद् अति भारी।
द्रोण, भीष्म, अर्जुन, सब फीके, सब हो रहे उदास,
एक सुयोधन बढ़ा, बोलते हुए, 'वीर! शाबाश !'
द्वन्द्व-युद्ध के लिए पार्थ को फिर उसने ललकारा,
अर्जुन को चुप ही रहने का गुरु ने किया इशारा।
कृपाचार्य ने कहा- 'सुनो हे वीर युवक अनजान'
भरत-वंश-अवतंस पाण्डु की अर्जुन है संतान।
'क्षत्रिय है, यह राजपुत्र है, यों ही नहीं लड़ेगा,
जिस-तिस से हाथापाई में कैसे कूद पड़ेगा?
अर्जुन से लड़ना हो तो मत गहो सभा में मौन,
नाम-धाम कुछ कहो, बताओ कि तुम जाति हो कौन?'
'जाति! हाय री जाति !' कर्ण का हृदय क्षोभ से डोला,
कुपित सूर्य की ओर देख वह वीर क्रोध से बोला
'जाति-जाति रटते, जिनकी पूँजी केवल पाषंड,
मैं क्या जानूँ जाति ? जाति हैं ये मेरे भुजदंड।
'ऊपर सिर पर कनक-छत्र, भीतर काले-के-काले,
शरमाते हैं नहीं जगत् में जाति पूछनेवाले।
सूत्रपुत्र हूँ मैं, लेकिन थे पिता पार्थ के कौन?
साहस हो तो कहो, ग्लानि से रह जाओ मत मौन।
'मस्तक ऊँचा किये, जाति का नाम लिये चलते हो,
पर, अधर्ममय शोषण के बल से सुख में पलते हो।
अधम जातियों से थर-थर काँपते तुम्हारे प्राण,
छल से माँग लिया करते हो अंगूठे का दान।
'पूछो मेरी जाति , शक्ति हो तो, मेरे भुजबल से'
रवि-समान दीपित ललाट से और कवच-कुण्डल से,
पढ़ो उसे जो झलक रहा है मुझमें तेज-प़काश,
मेरे रोम-रोम में अंकित है मेरा इतिहास।
'अर्जुन बङ़ा वीर क्षत्रिय है, तो आगे वह आवे,
क्षत्रियत्व का तेज जरा मुझको भी तो दिखलावे।
अभी छीन इस राजपुत्र के कर से तीर-कमान,
अपनी महाजाति की दूँगा मैं तुमको पहचान।'
कृपाचार्य ने कहा ' वृथा तुम क्रुद्ध हुए जाते हो,
साधारण-सी बात, उसे भी समझ नहीं पाते हो।
राजपुत्र से लड़े बिना होता हो अगर अकाज,
अर्जित करना तुम्हें चाहिये पहले कोई राज।'
कर्ण हतप्रभ हुआ तनिक, मन-ही-मन कुछ भरमाया,
सह न सका अन्याय , सुयोधन बढ़कर आगे आया।
बोला-' बड़ा पाप है करना, इस प्रकार, अपमान,
उस नर का जो दीप रहा हो सचमुच, सूर्य समान।
'मूल जानना बड़ा कठिन है नदियों का, वीरों का,
धनुष छोड़ कर और गोत्र क्या होता रणधीरों का?
पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर,
'जाति-जाति' का शोर मचाते केवल कायर क्रूर।
'किसने देखा नहीं, कर्ण जब निकल भीड़ से आया,
अनायास आतंक एक सम्पूर्ण सभा पर छाया।
कर्ण भले ही सूत्रोपुत्र हो, अथवा श्वपच, चमार,
मलिन, मगर, इसके आगे हैं सारे राजकुमार।
'करना क्या अपमान ठीक है इस अनमोल रतन का,
मानवता की इस विभूति का, धरती के इस धन का।
बिना राज्य यदि नहीं वीरता का इसको अधिकार,
तो मेरी यह खुली घोषणा सुने सकल संसार।
'अंगदेश का मुकुट कर्ण के मस्तक पर धरता हूँ।
एक राज्य इस महावीर के हित अर्पित करता हूँ।'
रखा कर्ण के सिर पर उसने अपना मुकुट उतार,
गूँजा रंगभूमि में दुर्योधन का जय-जयकार।
कर्ण चकित रह गया सुयोधन की इस परम कृपा से,
फूट पड़ा मारे कृतज्ञता के भर उसे भुजा से।
दुर्योधन ने हृदय लगा कर कहा-'बन्धु! हो शान्त,
मेरे इस क्षुद्रोपहार से क्यों होता उद्भ्रान्त?
'किया कौन-सा त्याग अनोखा, दिया राज यदि तुझको!
अरे, धन्य हो जायँ प्राण, तू ग्रहण करे यदि मुझको ।'
कर्ण और गल गया,' हाय, मुझ पर भी इतना स्नेह!
वीर बन्धु! हम हुए आज से एक प्राण, दो देह।
'भरी सभा के बीच आज तूने जो मान दिया है,
पहले-पहल मुझे जीवन में जो उत्थान दिया है।
उऋण भला होऊँगा उससे चुका कौन-सा दाम?
कृपा करें दिनमान कि आऊँ तेरे कोई काम।'
घेर खड़े हो गये कर्ण को मुदित, मुग्ध पुरवासी,
होते ही हैं लोग शूरता-पूजन के अभिलाषी।
चाहे जो भी कहे द्वेष, ईर्ष्या, मिथ्या अभिमान,
जनता निज आराध्य वीर को, पर लेती पहचान।
लगे लोग पूजने कर्ण को कुंकुम और कमल से,
रंग-भूमि भर गयी चतुर्दिक् पुलकाकुल कलकल से।
विनयपूर्ण प्रतिवन्दन में ज्यों झुका कर्ण सविशेष,
जनता विकल पुकार उठी, 'जय महाराज अंगेश।
'महाराज अंगेश!' तीर-सा लगा हृदय में जा के,
विफल क्रोध में कहा भीम ने और नहीं कुछ पा के।
'हय की झाड़े पूँछ, आज तक रहा यही तो काज,
सूत-पुत्र किस तरह चला पायेगा कोई राज?'
दुर्योधन ने कहा-'भीम ! झूठे बकबक करते हो,
कहलाते धर्मज्ञ, द्वेष का विष मन में धरते हो।
बड़े वंश से क्या होता है, खोटे हों यदि काम?
नर का गुण उज्जवल चरित्र है, नहीं वंश-धन-धान।
'सचमुच ही तो कहा कर्ण ने, तुम्हीं कौन हो, बोलो,
जनमे थे किस तरह? ज्ञात हो, तो रहस्य यह खोलो?
अपना अवगुण नहीं देखता, अजब जगत् का हाल,
निज आँखों से नहीं सुझता, सच है अपना भाल।
कृपाचार्य आ पड़े बीच में, बोले 'छिः! यह क्या है?
तुम लोगों में बची नाम को भी क्या नहीं हया है?
चलो, चलें घर को, देखो; होने को आयी शाम,
थके हुए होगे तुम सब, चाहिए तुम्हें आराम।'
रंग-भूमि से चले सभी पुरवासी मोद मनाते,
कोई कर्ण, पार्थ का कोई-गुण आपस में गाते।
सबसे अलग चले अर्जुन को लिए हुए गुरु द्रोण,
कहते हुए -'पार्थ! पहुँचा यह राहु नया फिर कौन?
'जनमे नहीं जगत् में अर्जुन! कोई प्रतिबल तेरा,
टँगा रहा है एक इसी पर ध्यान आज तक मेरा।
एकलव्य से लिया अँगूठा, कढ़ी न मुख से आह,
रखा चाहता हूँ निष्कंटक बेटा! तेरी राह।
'मगर, आज जो कुछ देखा, उससे धीरज हिलता है,
मुझे कर्ण में चरम वीरता का लक्षण मिलता है।
बढ़ता गया अगर निष्कंटक यह उद्भट भट बांल,
अर्जुन! तेरे लिये कभी यह हो सकता है काल!
'सोच रहा हूँ क्या उपाय, मैं इसके साथ करूँगा,
इस प्रचंडतम धूमकेतु का कैसे तेज हरूँगा?
शिष्य बनाऊँगा न कर्ण को, यह निश्चित है बात;
रखना ध्यान विकट प्रतिभट का, पर तू भी हे तात!'
रंग-भूमि से लिये कर्ण को, कौरव शंख बजाते,
चले झूमते हुए खुशी में गाते, मौज मनाते।
कञ्चन के युग शैल-शिखर-सम सुगठित, सुघर सुवर्ण,
गलबाँही दे चले परस्पर दुर्योधन औ' कर्ण।
बड़ी तृप्ति के साथ सूर्य शीतल अस्ताचल पर से,
चूम रहे थे अंग पुत्र का स्निग्ध-सुकोमल कर से।
आज न था प्रिय उन्हें दिवस का समय सिद्ध अवसान,
विरम गया क्षण एक क्षितिज पर गति को छोड़ विमान।
और हाय, रनिवास चला वापस जब राजभवन को,
सबके पीछे चली एक विकला मसोसती मन को।
उजड़ गये हों स्वप्न कि जैसे हार गयी हो दाँव,
नहीं उठाये भी उठ पाते थे कुन्ती के पाँव।
House is singular so i don't get why it shouldn't be hamara